कविता - ज़िन्दगी का एक इत्तेफाक था



कविता - ज़िन्दगी का एक इत्तेफाक था



ज़िन्दगी का एक इत्तेफाक था



कि हम सब यहाँ हैं



लेकिन हर एक के साथ कुछ न
कुछ



अक्सर छूट जाता है।



 



हम सभी को एक नहीं होता



दर्द भी अलग-अलग होता है



कुछ लोग अपने दर्दों से अकेले
जूझते हैं



कुछ लोग दर्दों को शब्दों
में पिरोते हैं।



 



दिन रात बीतते जाते हैं



मगर उस एक पल का इंतज़ार होता
है



जिस पल हमें समझ आ जाए



कि हमने सही या गलत किया है।



 



ये उदास कविता नहीं है



बस एक सच्ची बात है



ज़िन्दगी बहुत अजीब होती है



कभी हंसाती है, तो कभी रुलाती
है।




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